कॉमनवेल्थ गेम्स का हिसाब-किताब
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कॉमनवेल्थ गेम्स ख़त्म हो गए... अब हिसाब-किताब की बारी है... राज्यों, उसके खिलाड़ियों के लिए SAI (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया) की तरफ से राशि आवंटित की जाती है, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर, खिलाड़ियों की खुराक, प्रशिक्षक के वेतन, खेल उपकरणों इत्यादि पर खर्च की जाती है... एकदम हालिया हिसाब इस प्रकार है...
- महाराष्ट्र के 14 खिलाड़ी... कुल पैसा मिला 111 करोड़ = औसत प्रति खिलाड़ी 7.92 करोड़...
- मध्यप्रदेश के केवल दो खिलाड़ी, पैसा मिला, 86 करोड़ = औसत 43 करोड़..
- हरियाणा और पंजाब के 39 और 26 खिलाड़ी... पैसा मिला 89 और 94 करोड़... अर्थात मात्र 2.2 एवं 3.6 करोड़ प्रति खिलाड़ी
- उत्तरप्रदेश के 12 खिलाड़ी, जबकि पैसा मिला 503 करोड़ = यानी प्रत्येक खिलाड़ी 41 करोड़
- गुजरात के 5 खिलाड़ी, राज्य को पैसा मिला 608 करोड़ = अर्थात एवरेज 121 करोड़ प्रति खिलाड़ी
- कुल खिलाड़ी 215, कुल बजट 2754 करोड़ लेकिन इस पूरे बजट का 40% हिस्सा केवल दो राज्यों यूपी और गुजरात को, जहां से केवल 17 खिलाड़ी गए... बाकी के बचे हुए 198 खिलाड़ियों को मिला बचा हुआ 60% हिस्सा...
एक तरफ आप कह रहे हैं कि गुजरात देश का सबसे विकसित राज्य है... तो फिर उसे खेलों के लिए इतना भारीभरकम पैसा देने की जरूरत ही क्या है... और उधर पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य, जो सर्वाधिक मेडल ला रहे हैं, उन्हें इतनी कम राशि देना तो सरासर अन्याय है...
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नोट :- वैसे जिस खेल में गुजरात सबसे टॉप पर है, यानी "बैंकों का पैसा लूटकर सबसे तेज दौड़ लगाना"... इस खेल में तो सरकार और SAI को "बड़े-बड़े शातिर खिलाड़ियों" को पैसा देने के बजाय, उनसे पैसा लेना चाहिए...
(नोट २:- लिंक पिपासु गिरोह, एवं सबूत मांगो समिति के सदस्य... लोकसभा की कार्रवाई देखें, वहां खेल मंत्री ने ये लिखित में दिया हुआ है).
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🥺 whatever it is,they should pay the players genuinely or else they all might end up selling pani puri/street vendor
coro milenge bronze jitne vale ko bhi