✍🏻👊🏿 थोड़ी सी खुद्दारी भी लाज़मी थी... 💃 उसने हाथ छुड़ाया,मैंने छोड़ दिया...
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@Alpha.Barood wrote:
ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर !
डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते !
इंसानियत/ईमानदारी/सच्चाई
😜😜👍👍😜😜
कुछ पन्ने क्या फटे,
ज़िन्दगी की किताब के…
ज़माने ने समझा,
हमारा दौर ही बदल गया…..
ढूंढ़ने में बड़ा मजा आता है,
दिल में बसा कोई अपना जब खो जाता है.
.
*अजीब है ये मोहब्बत, मुकम्मल हो जाए तो
कोई जिक्र नही,
अगर अधुरी रह जाए ,तो एक दास्तान बन
जाती है।।।
*अजीब है ये मोहब्बत, मुकम्मल हो जाए तो
कोई जिक्र नही,
अगर अधुरी रह जाए ,तो एक दास्तान बन
जाती है।।।
@Alpha.Barood wrote:
*अजीब है ये मोहब्बत, मुकम्मल हो जाए तो
कोई जिक्र नही,
अगर अधुरी रह जाए ,तो एक दास्तान बन
जाती है।।।
मोहब्बत पूरी हो या अधूरी
शिद्दत से हो, बस ये है ज़रूरी
"" सुनो..
यूँ ही बैठे हैं
कॉफी का आधा कप लिए .
ईक झोंका ख्यालातों का भेजो न ..!!! 💝
#🍵 ☺
ख्वाहिश-ए-ज़िन्दगी बस इतनी सी है की साथ तेरा हो और ज़िन्दगी कभी खत्म ना हो
आ कर ख़यालों में मेरे, बाकि जहाँ बेखयाल कर जाते हो
हमें भी सिखा दो हुन्नर…..कैसे यह कमाल कर जाते हो,.
ज़बरदस्ती के धागों में……ना बांधे मुझे…!!
है हिम्मत…………तो प्यार से बांधे ले मुझे..!!!!💞
barood on fire
ye line padh kar to aise laga raha barood bhai ko bahut dhoke mile hai pyaar me
@Alpha.Barood bhai ek meri taraf se bhi suno
ज़िन्दगी बता अब और क्या पैंतरा आजमाएगी, तिनके के हौंसले के आगे आंधियां हार जाएगी।
आइना फिर आज रिश्वत लेते पकड़ा गया,
दिल में दर्द था फिर भी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया
🌹खुदगर्ज बना देती है शिद्दत की तलब भी !!
~
प्यासे-को-कोई-दूसरा-प्यासा-नहीं लगता !!🌹
आज आई है मेरी याद उसे !
ज़रूर किसी ने ठुकराया होगा !!
मुद्दतो बाद उसने पुछ ही लिया क्या चल रहा है ?
मैने कहा साँसे…❣❣
“कौनसा अंदाज़ है ये तेरी महोब्ब्त का, ज़रा हमे भी समझा दे…
मरने से भी रोकते हो, और जीने भी नहीं देते………"
कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है! जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है! तेरे चेहरे की उदासी बता रही है! मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है!
दम तोड़ जाती है हर शिकायत लबों पे आकर जब मासूमियत से वो कहती है मैंने क्या किया है
तेरे पास बैठना इबादत
तुझे दूर से देखना इबादत
न मंत्र न माला न पूजा न सजदा
तुझे हर घडी सोचना ही मेरी इबादत
ज़िन्दगी इक़ आँसुओं क़ा ज़ाम था..
पी गए कुछ और कुछ छलक़ा गए..
ना करवटें थी, ना बेचैनियाँ..
क्या ग़ज़ब की नींदें थी,उनके दीदार के पहले..
मैं रोशनी हूँ तो मेरी चमक कहाँ तक है ¡¡
कभी चराग के नीचे बिखर के देखूँगा !!💕💕
✍🏻✍🏻 ये तो ज़मीन की फितरत है की वो हर चीज़ को मिटा देती है…!!
✍🏻✍🏻 वरना तेरी याद में गिरने वाले आँसुओं का, अलग समंदर होता…!!
✍🏻✍🏻 महसूस करता हूँ खुद को कुछ अधूरा सा…!!
✍🏻✍🏻 वो कौन है जो मुझे मुकम्मल होने नहीं देता…!!
✍🏻✍🏻 मैं बोता रहा बंजर ज़मीन में इश्क़ के बीज…!!
✍🏻✍🏻 पर तेरा हर वादा सरकार का मुआवज़ा निकला…!!
" ‘यूँ’ तो एक ‘आवाज़’ दूँ… और…. ‘बुला’ लूँ ‘तुम्हें’ मगर ‘कोशिश’ ये है कि..❣*
*’खामोशी’ को भी… ‘आज़मा’ लूँ ज़रा
अगर तुम्हें यकीं नहीं, तो कहने को कुछ नहीं मेरे पास,
अगर तुम्हें यकीं है, तो मुझे कुछ कहने की जरूरत नही !
वो बोलते रहे हम सुनते रहे..
जवाब आँखों में था वो जुबान में ढूंढते रहे..