दिल तो सबकुछ सह कर भी चुप रहा... ..😥😔
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दिल तो सबकुछ सह कर भी चुप रहा…
कमबख्त,
आँखो ने बयाँ कर दिया रात किस दर्द से गुजरी है….😥😔
💐🌹💦💧💐🌹💧
दे गए कुछ लम्हे खरचने के लिए और कहते गए यादो से सौदेबाज़ी कर लेना
गर खूट जाए लम्हे कभी हिंचकियो पर ज़िन्दगी बसर कर लेना !!
!🌹💐💧💦💐
लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में किस की बनी है आलम-ए-ना-पायेदार में
.
उम्र-ए- दराज़ माँग के लाये थे चार दिन दो आरज़ू में कट गये, दो इंतज़ार में.
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें इतनी जगह कहाँ है दिल-ए- दाग़दार में है.
कितन बदनसीब ज़फ़र दफ़्न के लिये दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
@Plato ajj free lag rahe ho ye pad lo good work by @B@R_0_0_D
@sukhichd710 wrote:
@Plato ajj free lag rahe ho ye pad lo good work by @B@R_0_0_D
Gurgaon wali ladki ka referral use karke Bhindi Burger khaa lo. Baaki baat baad mein.
@Plato wrote:Are @19 Female Gurgaon ko bola tha planes ki ticket book kra de fares saste the ki mai milne aunga bas like karke shod dia reply nahi kia
@sukhichd710 wrote:
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and Rest Windy Sindy burgers referal i don’t think there are any branches in chd
@sukhichd710 wrote:
@Plato wrote:Are @19 Female Gurgaon ko bola tha planes ki ticket book kra de fares saste the ki mai milne aunga bas like karke shod dia reply nahi kia
@sukhichd710 wrote:
@Plato ajj free lag rahe ho ye pad lo good work by @B@R_0_0_D
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Lesson #1 : Pyaar mein naa apna faayeda nahin dekha karte 😂 Always keep U b4 I in I 💖 U
@Plato tum muje mat marva dena she/he not sure is a tikhi mirchi
Kya pyar pyar lga rakha hai:roll
@sukhichd710 wrote:
@Plato tum muje mat marva dena she/he not sure is a tikhi mirchi
Kya pyar pyar lga rakha hai:roll
Arey Online Tutorials mein itna darr rahe ho toh Offline kaise baat karoge? 😐
तुझे भूलने के लिए मुझे सिर्फ़ एक पल चाहिए,
वह पल! जिसे लोग अक्सर मौत कहते हैं…!!
@B@R_0_0_D @Plato
Post some new shyari otherwise this thread will become spamming thread
तुझे भूलने के लिए मुझे सिर्फ़ एक पल चाहिए,
वह पल! जिसे लोग अक्सर मौत कहते हैं…!!
@B@R_0_0_D @Plato
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उल्फ़त, मुहब्बत, ग़म, अश्क, वफ़ा, अफ़साने…..
वो आई ही थी जिंदगी में सिर्फ उर्दू सिखाने….
😞
या तो हमें मुक्कम्मल चालाकियां सिखाई जाएँ
नहीं तो फिर मासूमों की अलग बस्तियां बनाई जाये
यूं ही गुज़र जाते है मीठे लम्हे मुसाफिरों की तरह,
और यादें वहीं खडी रह जाती है रूके रास्तों की तरह !!
🍂🍂🍂🍂जिनका मिलना किस्मत में नहीं होता उनसे मोहब्बत कसम से कमाल की होती है💔💔💔
कोई चादर वफ़ा नहीं करती
वक्त जब खींच-तान करता है़🏻
लौटा देती ज़िन्दगी थोडा नाराज़ हो कर..
काश मेरा बचपन भी कोई अवार्ड होताl
हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए;
गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए;
मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी;
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
सारी उम्र गुज़री यूँ ही रिश्तों की तुरपाई में…..
मन के रिश्ते पक्के निकले, बाक़ी उधड़ गए कच्ची सिलाई में
उधार रहा मुझ पर ,वो" वक़्त" तेरा…!!
जब हुआ करता था तुझ पर ,सिर्फ "हक़ "मेरा…!!!
“इच्छाएँ” बड़ी बेवफ़ा होती हैं
कमबख्त
पूरी होते ही बदल जाती हैं….
जिसके अल्फ़ाज़ मेँ हमेँ अपना ‘अक्स’ मिलता है,
बड़े नसीबों से ज़िन्दगी मेँ ऐसा ‘शख़्श’ मिलता है…….
मंजिल का नाराज होना भी जायज था….
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे
-———-
कुछ पल खामोशियों में खुद से रूबरू हो लेने दो यारों,
ज़िन्दगी के शोर में खुद को सुना नहीं मुद्दतों से मैंने..
समय की इस अनवरत बहती धारा में,
अपने चंद सालों का हिसाब क्या रखें.
जिंदगी ने दिया है जब इतना बेशुमार यहाँ,
तो फिर जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें.
दोस्तों ने दिया है इतना प्यार यहाँ,
तो दुश्मनी की बातों का हिसाब क्या रखें.
दिन हैं उजालों से इतने भरपूर यहाँ,
तो रात के अँधेरों का हिसाब क्या रखे.
खुशी के दो पल काफी हैं खिलने के लिये,
तो फिर उदासियों का हिसाब क्या रखें.
हसीन यादों के मंजर इतने हैं जिंदगानी में,
तो चंद दुख की बातों का हिसाब क्या रखें.
मिले हैं फूल यहाँ इतने किन्हीं अपनों से,
फिर काँटों की चुभन का हिसाब क्या रखें.
चाँद की चाँदनी जब इतनी दिलकश है,
तो उसमें भी दाग है ये हिसाब क्या रखें.
जब खयालों से ही पुलक भर जाती हो दिल में,
तो फिर मिलने ना मिलने का क्या रखें.
कुछ तो जरूर बहुत अच्छा है सभी में यारों,
फिर जरा सी बुराइयों का हिसाब क्या रखें.
बात इतनी है के तुम बहुत दुर होते जा रहे हो,
और हद ये है कि तुम ये मानते भी नही…!!❤🌹❤
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है!
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है!
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾
बेबसी का आलम
कभी पुछो उस परिंदे से…
जिसका पिजंरा भी रखा हो
तो खुले आसमान के तले..!!
अब शिकायत तुम से नहीं
खुद से है….
माना कि सारे झूठ तुम्हारे थे,
मगर
उन पर यकीन तो मेरा था…
वाह ! शायरी बारूद की कलम से…
अच्छी हैं .
” मेहमान-ए-ख़ास ”