✍🏻👊🏿 थोड़ी सी खुद्दारी भी लाज़मी थी... 💃 उसने हाथ छुड़ाया,मैंने छोड़ दिया...
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कैदी हैं सभी यहाँ
कोई ख्वाबों का
तो कोई ख़्वाहिशों का….!!
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हजार बार छेड़ें हैं हमनें अपनें दिल के तार,
पर कमबख्त,,,, हर धुन में तुम्हारा ही नाम निकला ……..🐾✍🏻
यहाँ सब खामोश हैं, कोई भी आवाज़ नहीं करता; सच बोल कर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता।
ज़हर तो ख्वामखाह ही बदनाम है,
नज़र घुमा कर देख लो इस दुनिया में…
शक्कर से मरने वालों की तादाद बेशुमार हैं !!
ना जाने कब अदा होगा क़र्ज़ उसकी मुहब्बत का…
……,,..
“हर रोज आँसुओ से उसकी क़िस्त भरता हूँ.”..!!
पगली तेरी ख़ामोशी,
अगर तेरी मज़बूरी है.
तो रेहने दे इश्क़
कोन सा जरुरी है..
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका इश्क मुकम्मल होता है,
हमने तो यहाँ इंसानों को बस बर्बाद होते देखा है !
हाथो की लकीरों के फरेब में मत आना. . ज्योतिषयो की दुकानों पर मुकद्दर नहीं बिकते.
फिक्र में होते हैै, तो खुद जलते हैै….
बेफिक्र होते है, तो दुनिया जलती हैै….!
आग भी कमाल की चीज़ है साहब,
बातों से भी, लग जाती है
जरुरी नहीं की हर रिश्तें का अंत लड़ाई ही हो, कुछ रिश्ते किसी की ख़ुशी के लिए भी छोड़ने पड़ते है…!
कितने दिन गुजर गए और तुमने याद तक ना किया,
मुझे नहीं पता था की इश्क में छुट्टिया भी होती है !!😏
तेरी यादो को पसन्द आ गई है मेरी आँखों की नमी…..;
हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी…!!
☝🏻तेरी मुस्कान से सुधर जाती है तबियत मेरी,
बताओ ना तुम इश्क़ करते हो या इलाज़😌🌹
सोचूँ तो सिमट जाऊँ,
देखूँ तो बिखर जाऊँ,
हर लम्हा तेरी चाहत,
जाऊँ तो कहाँ जाऊँ !
🍃 अपने खिलाफ बातों को अक्सर मैं ख़ामोशी से सुनता हूँ …
क्योकि…
जवाब देने का हक़ मैने वक़्त को दे रखा है…🍂
कैसे करें हम ख़ुद को तेरे काबिल……
जब हम आदतें बदलतें हैं…..
तुम शर्तें बदल देते हो….
💕💕हमारी चर्चा छोडो दोस्तों, हम ऐसे लोग है जिन्हें, नफरत कुछ नहीं कहती और मोहब्बत मार डालती है।।💕💕
वो कहता कुछ है…..
मुझे महसूस ….कुछ औऱ होता है….
लफ्ज़ों के बीच ….. कितना अनकहा ….छुपा होता है….!!
तुम्हे देख कर यकीन होता है ….💕
कि कोई इतना भी हसीन होता है…..
पर देख कहा पाते है, हम तुमको …
दिल कही और होश कही और होता है ।
मशहूर होने का शौक किसे है साहब,
हमें तो हमारे अपने ही ठीक से पहचान ले तो भी बहोत है !!
जिस दिन आपने अपनी जिन्दगी को खुलकर जी लिया वही दिन आपका है, बाकी तो सिर्फ कैलेंडर की तारीखें हैं !
वक़्त मिले तो मेरे घर तक चले आना कभी…
तेरी खुश्बू के मोहताज़ गुलदस्ते आज भी हैं…
नफरतों को जलाओ मुहब्बत की रौशनी होगी । इंसान तो जब भी जले … राख ही हुऐ.