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Alpha.Barood
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तारीखों में बंध गया है अब, इजहार ए मोहब्बत भी
रोज प्यार जताने की अब किसी को फुर्सत कहां।
“मोहब्बत” की तरह “नफरत” का भी साल में एक ही दिन तय कर दो कोई…..
ये रोज़-रोज़ की नफरतें अच्छी नहीं लगतीं..!!
wah wah….
Thanks
U forgot ur life after met me ?